सीडीएस विपिन रावत
धन्य है ये भारत भूमि जहां जन्मे आप जैसे सपूत हैं
मातृभूमि का कण – कण आज गौरव से हुआ अभिभूत है।
तपोभूमि यह तेजस्वी है, योगी साधु – संतो की
वसुधा धर्म, ग्रंथ, रामायण, वेद, पुराणों, मंत्रों, की।
सकल साहित्य के आधार पर सम्मान जो करती है
ये मेरे देश की धरती है, जननी हिंदुस्तान की है।
देश के पहले सीडीएस बन दुनिया में परचम लहराया था
बनकर रक्षक भारत मां का, शान से तिरंगा फहराया था।
देश के पहले सीडीएस ( विपिन रावत जी ) इस भूमि की शान हैं
इस मातृभूमि की सीमाओं के अटल बलिदानी महान हैं।
जो रक्षक था इस मातृभूमि का, दुश्मन का दिल दहलता था
अपनी कौशल रणनीति से सर्जिकल स्ट्राइक करवाता था।
उनकी उपलब्धि की सूची में, अनगिनत पराक्रम मेडल थे
अति विशिष्ट, स्पेशल सर्विस, सैन्य सेवा, सेना मेडल आदि थे।
चांद सितारा बन कर तारा, आज भी गगन में चमकेगा
बनकर शोला, देशभक्ति का जन – जन के दिल में देहकेगा।
आज हिमालय की कोख से बहती नदियां, पानी नहीं अश्रु बहाती है
भारत वर्ष की भूमि आज, ओस से नही रक्त से नहाती है।
जगत कल्याण के निमित्त, विधाता भी जन्म पाते हैं
कभी मर्यादा पुरुषोत्तम, तो कभी बाल कृष्ण बन आते हैं।
सफर आपका बना आखिरी, यह मौत नहीं बलिदान है
मारकर भी आप अमर रहेंगे, यह हर दिल का अरमान है।🇮🇳🇮🇳🇮🇳😭
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